अनिश्चितता और अनजाने
भय के साथ सामान बांध कर
प्लेटफार्म पर खड़ा हूँ
मित्र छोड़ने आए हैं
रास्ता कई पड़ावों भरा है
पहला पड़ाव दिल्ली
पहुंचता हूँ एक परिचित के यहाँ
डेरा डालता हूँ, संकोच के साथ
सरहद पार करनी है
सरहदों को पार करने के लिए
कागजों की जरूरत होती है
और कागजों पर मुहरों की
कागजों से भरी फाइल
और अनजाना भय
दोनों बैग से सर निकाल कर
बार-बार मेरा मुंह देख रहे हैं !
विघ्नों के बीच काम पूरा हुआ !
फिर निकलता हूँ
पहुंचता हूँ बम्बई, नितांत अपरिचित के यहाँ
डेरा डालता हूँ, सुबह से शुरू होती है
सरहद पार करने के पहले की दौड़-धूप
जमीन से आसमान में उड़ने की
जिसे हम अभी बाँट नहीं सके
लौट कर शाम को आना थकान के साथ,
चाय के बाद घर की
बच्ची से चर्चा
साहित्य पर, बच्ची मंटो पढ़ रही है
कितने सवाल हैं उसके मन में
पूछती है मैं जवाब देता हूँ,
बाबूजी ने ही दिया था मंटो को पढने के लिए
सभी कहानियाँ हैं जेहन में,
मंटो को पढना अपने आप को पढना है
आईने के सामने खड़े होना हैं, उन जगहों पर
जाना है जहाँ समाज जाने की स्वीकृति नहीं देता
वहाँ मंटो धक्के देते हुए जाने को मजबूर करते हैं
शब्दों से बुनते है छोटी छोटी कहानियों में
एक विस्तृत फलक जिससे होकर
जमीर की रोशनी
रूह पर उजाला फैलाती है एक अलग सोच का
जिससे समाज ने इंसान को महरूम रखा था
बड़ी–बड़ी आखों वाली बच्ची आश्चर्यचकित है,
स्नेह्मयी
शांतिस्वरूपा खो गई है कही
मंटो की झकझोरती रचना संसार में,
इस संसार में भी, पता नहीं कहाँ ?
फिर कभी सुना नहीं,
मिला नहीं !
फिर निकल रहा हूँ
कौन था मैं ? कहाँ जा रहा था ?
मेरा गंतव्य कहाँ है ?
पूरा पता नहीं है!
जगह का नाम, देश का नाम पता है
ह्रदय की धड़कन क़दमों से बहुत तेज
टैक्सी रूकती है,
कागजों की फाइल है हाथ में
और एक पीछे छूटती, ओझल होती दुनिया साथ में!
सुबह पहुँचता हूँ एक नई धरती पर
गेस्ट हाउस में नए पुराने चेहरे
नई दुनिया नया परिवेश
फिर निकल जाता हूँ
साथ में पासपोर्ट है और नए मित्र
कार में बैठ पहाड़ी रास्ता तय करता हूँ
सूरज और बादल साथ साथ चलते हैं
शाम पहाड़ियों से झांकती है
सूरज उसे इशारे कर लौट जाता है
पहाड़ियों के पीछे धीरे-धीरे
धीरे-धीरे अँधेरा घाना होता जा रहा है
गंतव्य आता है, थोड़ी थकान लिए हुए
घर की चाभी हाथ में मिलती है
रात का समय है
चिन्ताएँ पलकों पर बैठ ऊँघने लगी हैं
झरने के पानी के साथ आँखे खोलता हूँ
खिडकी के बाहर देखता हूँ
फिर सुबह होगी, मुझे पता था !
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