मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

तुम एक शरीर नहीं हो सकते 
आत्मा भी नहीं
शरीर  का  दुःख जिसने झेला है 
शरीर का सुख जिसने भोगा है 
मुखमंडल पर उतरा हुआ दर्प 
समय के धामिन सांप  ने पैरो  को जकड लिया 
आगे  बढ़ना ही है - लेकिन कितना  आगे !
रूप-अरूप , व्यक्त-अव्यक्त  का झमेला  
तुमने ही  खड़ा किया है 
तुम एक आत्मा  नहीं  हो सकते !

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